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चौधरी चरण सिंह

ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी

ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी

चंडीगढ़। ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं और किसानों के लिए चौ. चरन सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (Chaudhary Charan Singh Haryana Agriculture University (CCSHAU) Hisar, Haryana ) स्टार्टअप्स (startups)  को बढ़ावा देने जा रही है। ऐसे किसान जो अपनी फसल के उत्पादन को बदलना चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है।

वास्तव में चौ. चरन सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हरियाणा ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।

एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर (एबीक - (Agri-business Incubation Centre -ABIC)) चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (सीसीएसएचएयू) हिसार, हरियाणा में होस्ट किया गया है और नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) द्वारा समर्थित है। एबीक कृषि व्यवसाय और उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी के उत्थान व नवीनीकरण और कौशल विकास का सहारा लेगी। एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी इस योजना के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाना चाहती है। यूनिवर्सिटी इस योजना से किसानों और बेरोजगार युवाओं को जोड़कर स्टार्टअप के लिए नई तकनीकी व आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी।

65 कम्पनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है पिछले तीन सालों में

हरियाणा की चौ. चरन सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता के अनुसार पिछले तीन सालों में 65 कम्पनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इससे बेरोजगार युवाओं और किसानों को स्वरोजगार स्थापित कराने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही इच्छुक उम्मीदवारों को पूर्ण तकनीकी जानकारी प्रदान की जाएगी। अब तक इस योजना के लिए 27 इनक्यूबेटि (incubatee) को 3.15 करोड़ रुपए का अनुदान राशि प्राप्त हो चूका है, जो 250 से अधिक लोगों को स्वरोजगार प्रदान करने जा रहा है।
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सामाजिक संस्था नाबार्ड भी कर रही है सहयोग

एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की इस योजना को सफल बनाने के लिए सामाजिक संस्था नाबार्ड भी भरपूर सहयोग कर रही है। एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर (एबीक) को अपनी गतिविधियों को बढाने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए और नाबार्ड ऐसे प्रयास में अपना योगदान देने को तैयार रहती है। पिछले दशकों से लगातार एबीक का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है। केन्द्र ने भी विशेष तौर पर इसकी सराहना की है।
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युवाओं के लिए बेहतर विकल्प

इस योजना के अंतर्गत किसानों को स्वरोजगार के साथ-साथ युवाओं को भी शामिल किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना युवाओं के लिए एक बेहतर विकल्प है। किसानों के उत्पादों की प्रोसेसिंग, मूल्य संवर्धन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और सर्विसिंग तमाम महत्वपूर्ण कार्यों के लिए मार्गदर्शन के साथ वो अपना खुद का एक व्यवसाय खड़ा कर सकते हैं। जो भविष्य के लिए अच्छा अवसर हो सकता है। ------ लोकेन्द्र नरवार
हरियाणा में कृषि मेला, किसानों को नई तकनीक से कराया जाएगा अवगत

हरियाणा में कृषि मेला, किसानों को नई तकनीक से कराया जाएगा अवगत

भारत किसानों का देश है और किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़. ऐसे में, केंद्र सरकार समेत तकरीबन हर राज्य सरकार समय-समय पर किसानों की बेहतरी के लिए, उन्हें बेहतर प्रशिक्षण देने, कृषि क्षेत्र में आने वाली नई तकनीकों की जानकारी देने का काम करती है. इसी क्रम में, आने वाले 13-14 सितंबर को हरियाणा के हिसार में एक कृषि मेला का आयोजन होने जा रहा है. इस कृषि मेले में किसानों को नए कृषि मशीनों, कृषि तकनीकों आदि के बारे में जानकारी दी जाएगी.

जल बचाना प्राथमिकता

हरियाणा के हिसार में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय है, जहां 13-14 सितंबर को कृषि मेला का आयोजन किया जाएगा. यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर ने मीडिया को जो जानकारी दी है, उसके अनुसार इस बार के मेले में पानी कैसे बचाना है, इस पर अधिक जोर दिया जा रहा है. इस मेले का थीम भी इस साल पानी बचाने को लेकर ही तैयार किया गया है. यानी, यहाँ आने वाले किसानों को पानी बचाने की तकनीक के बारे में अधिक से अधिक बताने पर ध्यान दिया जाएगा. इसके लिए जल बचाने से संबंधित उपकरण बनाने वाली कंपनियां भी यहाँ अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगी.


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नई कृषि तकनीक की जानकारी

भारत में खेती का काम अमूमन छोटे जोत के किसान अधिक करते हैं. ऐसे में, कम जमीन से अधिक उपज पाना हमेशा से एक चुनौती रही है. इसके लिए नई तकनीक का इस्तेमाल, वैज्ञानिक विधि से खेती का महत्व बढ़ जाता है. जाहिर है, कृषि मेला जैसे आयोजन इस दिशा में काफी सहायक माने जाते है. इस कृषि मेले में भी किसानों को उन्नत तकनीक से पैदा की गयी खरीफ फसलों से परिचित कराया जाएगा. इस मेले में किसानों को खेती के साथ ही पशुपालन से सबंधित समस्याओं पर सवाल भी पूछने का मौक़ा मिलेगा. इसके अलावा, मेला के दौरान ही किसान अपने खेतों की मिट्टी की भी जांच मुफ्त में करवा सकेंगे. मेले में विभिन्न कंपनियों के स्टाल होंगे और इसके लिए अभी से ही बुकिंग शुरू हो चुकी है. किसानों की सुविधा के लिए और मानसून सीजन को देखते हुए वाटर प्रूफ पंडाल बनाया जा रहा है. गौरतलब है कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय उक्त कृषि मेले का आयोजन प्रति वर्ष सितंबर के महीने में करता रहा है. इस मेले में हरियाणा के अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश से भी हजारों किसान भाग लेते हैं.
भारत सरकार ने मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किये तीन नए उत्कृष्टता केंद्र

भारत सरकार ने मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किये तीन नए उत्कृष्टता केंद्र

भारत दुनिया में मोटे अनाजों (Coarse Grains) का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इसलिए भारत इस चीज के लिए तेजी से प्रयासरत है कि दुनिया भर में मोटे अनाजों की स्वीकार्यता बढ़े। 

इसको लेकर भारत ने साल 2018 को मिलेट्स ईयर के तौर पर मनाया था और साथ ही अब साल 2023 को संयुक्त राष्ट्र संघ इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (आईवायओएम/IYoM-2023) के तौर पर मनाएगा। इसका सुझाव भी संयुक्त राष्ट्र (United Nations) संघ को भारत सरकार ने ही दिया है, जिस पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने सहमति जताई है।

इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (IYoM) 2023 योजना का सरकारी दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें देश के भीतर मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने देश में तीन नए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये हैं, जो देश में मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होंगे, साथ ही ये उत्कृष्टता केंद्र देश में मोटे अनाजों के प्रति लोगों को जागरूक भी करेंगे।

  • इन तीन उत्कृष्टता केंद्रों में से पहला केंद्र बाजरा (Pearl Millet) के लिए  चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (Chaudhary Charan Singh Haryana Agricultural University, Hisar) में स्थापित किया गया है। यह केंद्र पूरी तरह से बाजरे की खेती के लिए, उसके उत्पादन के लिए तथा उसके प्रचार प्रसार के लिए बनाया गया है, इसके साथ ही यह केंद्र लोगों के बीच बाजरे के फायदों को लेकर जागरूक करने का प्रयास भी करेगा।
  • इसी कड़ी में सरकार ने दूसरा उत्कृष्टता केंद्र भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद (Indian Institute of Millets Research (IIMR)) में स्थापित किया है। यह केंद्र ज्वार (Jowar) की खेती को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। यह केंद्र देश भर में ज्वार की खेती के प्रति लोगों को जागरूक करेगा, साथ ही लोगों के बीच ज्वार से होने वाले फायदों को लेकर जागरूकता फैलाएगा।
  • इनके साथ ही तीसरा उत्कृष्टता केंद्र कृषि विज्ञान विश्विद्यालय, बेंगलुरु (University of Agricultural Sciences, GKVK, Bangalore) में स्थापित किया गया है। यह उत्कृष्टता केंद्र छोटे मिलेट्स जैसे कोदो, फॉक्सटेल, प्रोसो और बार्नयार्ड इत्यादि के उत्पादन और प्रचार प्रसार के लिए बनाया गया है।
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मोटे अनाजों में मुख्य तौर पर ज्वार, बाजरा, मक्का, जौ, फिंगर बाजरा और अन्य कुटकी जैसे कोदो, फॉक्सटेल, प्रोसो और बार्नयार्ड इत्यादि आते हैं, इन सभी को मिलाकर भारत में मोटा अनाज या मिलेट्स (Millets) कहते हैं। 

इन अनाजों को ज्यादातर पोषक अनाज भी कहा जाता है क्योंकि इन अनाजों में चावल और गेहूं की तुलना में 3.5 गुना अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। मोटे अनाजों में पोषक तत्वों का भंडार होता है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद फायदेमंद होते हैं। 

मिलेटस में मुख्य तौर पर बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि खनिजों के साथ विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। 

इन अनाजों का सेवन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होता है, इनका सेवन करने वाले लोगों को कब्ज और अपच की परेशानी होने की संभावना न के बराबर होती है। 

ये अनाज बेहद चमत्कारिक हैं क्योंकि ये अनाज विपरीत परिस्तिथियों में भी आसानी से उग सकते हैं, इनके उत्पादन के लिए पानी की बेहद कम आवश्यकता होती है। 

साथ ही प्रकाश-असंवेदनशीलता और जलवायु परिवर्तन का भी इन अनाजों पर कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता, इसलिए इनका उत्पादन भी ज्यादा होता है और इन अनाजों का उत्पादन करने से प्रकृति को भी ज्यादा नुकसान नहीं होता। 

आज के युग में जब पानी लगातार काम होता जा रहा है और भूमिगत जल नीचे की ओर जा रहा है ऐसे में मोटे अनाजों का उत्पादन एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि इनके उत्पादन में चावल और गेहूं जितना पानी इस्तेमाल नहीं होता। 

यह अनाज कम पानी में भी उगाये जा सकते हैं जो पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल हैं। मोटे अनाजों का उपयोग मानव अपने खाने के साथ-साथ जानवरों के खाने के लिए भी कर सकता है, इन अनाजों का उपयोग भोजन के साथ-साथ, पशुओं के लिए और पक्षियों के चारे के रूप में भी किया जाता है। ये अनाज हाई पौष्टिक मूल्यों वाले होते हैं जो कुपोषण से लड़ने में सहायक होते हैं।

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मोटे अनाजों का उत्पादन देश में कर्नाटक, राजस्थान, पुद्दुचेरी, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों में ज्यादा किया जाता है, क्योंकि यहां की जलवायु मोटे अनाजों के उत्पादन के लिए अनुकूल है और इन राज्यों में मिलेट्स को आसानी से उगाया जा सकता है, 

इसके साथ ही इन राज्यों के लोग अब भी मोटे अनाजों के प्रति लगाव रखते हैं और अपनी दिनचर्या में इन अनाजों को स्थान देते हैं। इसके अलावा इन अनाजों का एक बहुत बड़ा उद्देश्य पशुओं के लिए चारे की आपूर्ति करना है। मोटे अनाजों के पेड़ों का उपयोग कई राज्यों में पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है, 

इनके पेड़ों को मशीन से काटकर पशुओं को खिलाया जाता है, इस मामले में हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश टॉप पर हैं, जहां मोटे अनाजों का इस उद्देश्य की आपूर्ति के लिए बहुतायत में उत्पादन किया जाता है। 

मोटे अनाजों के कई गुणों को देखते हुए सरकार लगतार इसके उत्पादन में वृद्धि करने का प्रयास कर रही है। जहां साल 2021 में 16.93 मिलियन हेक्टेयर में मोटे अनाजों की बुवाई की गई थी, 

वहीं इस साल देश में 17.63 मिलियन हेक्टेयर में मोटे अनाजों की बुवाई की गई है। अगर वर्तमान आंकड़ों की बात करें तो देश में हर साल 50 मिलियन टन से ज्यादा मिलेट्स का उत्पादन किया जाता है।

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इन मोटे अनाजों में मक्के और बाजरे का शेयर सबसे ज्यादा है। ज्यादा से ज्यादा किसान मोटे अनाजों की खेती की तरफ आकर्षित हों इसके लिए सरकार ने लगभग हर साल मोटे अनाजों के सरकारी समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की है। इन अनाजों को सरकार अब अच्छे खासे समर्थन मूल्य के साथ खरीदती है। 

जिससे किसानों को भी इस खेती में लाभ होता है। बीते कुछ सालों में इन अनाजों के प्रचलन का ग्राफ तेजी से गिरा है। आजादी के पहले देश में ज्यादातर लोग मोटे अनाजों का ही उपयोग करते थे, लेकिन अब लोगों के खाना खाने का तरीका बदल रहा है, 

जिसके कारण लोगों की जीवनशैली प्रभावित हो रही है और लोगों को मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां तेजी से घेर रही हैं। इन बीमारियों की रोकथाम के लिए लोगों को अपनी थाली में मोटे अनाजों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए, जिसके लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। 

मोटे अनाजों के फायदों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें 'सुपरफूड' बताया है। अब पीएम मोदी दुनिया भर में इन अनाजों के प्रचार के लिए ब्रांड एंबेसडर बने हुए हैं। 

"अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 की समयावधि तक कृषि मंत्रालय ने पूर्व में शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन और प्राचीन तथा पौष्टिक अनाज को फिर से खाने के उपयोग में लाने पर जागरूकता फैलाने की पहल" से सम्बंधित सरकारी प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) रिलीज़ का दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें । 

पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित हुए शंघाई सहयोग संगठन की बैठक को सम्बोधित करते हुए मोटे अनाजों को 'सुपरफूड' बताया था। 

उन्होंने अपने सम्बोधन में इन अनाजों से होने वाले फायदों के बारे में भी बताया था। पीएम मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन के विभिन्न नेताओं के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स फूड फेस्टिवल के आयोजन की वकालत की थी। 

उन्होंने बताया था की इन अनाजों के उत्पादन के लिए कितनी कम मेहनत और पानी की जरुरत होती है। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार लगातार मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए और प्रचारित करने के लिए प्रयासरत है।

कृषि क्षेत्र में पानी के कमी से निपटने के लिए किसानों को उठाने होंगे ये कदम

कृषि क्षेत्र में पानी के कमी से निपटने के लिए किसानों को उठाने होंगे ये कदम

कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा के लिए पानी महत्वपूर्ण है, आजकल पानी की मात्रा चौंकाने वाली दर से कम हो रही है। सतत विकास के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक पानी की बढ़ती कमी भी है। प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए “फसल विविधिकरण” (Crop Diversification) को प्रोत्साहित करने और किसानों को डीजल ट्रैक्टरों के बजाय इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों का उपयोग करने के दिशा में आगे आना होगा। कृषि क्षेत्र के लिए जल संकट बढ़ता जा रहा है क्योंकि लोग अंधाधुंध पानी का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं। गेहूं-धान की फसल वाले क्षेत्रों में भूजल के अति प्रयोग के कारण जल स्तर भी कम हो रहा है, इसलिए कृषि के लिए पानी की कमी एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है। अगर इसी तरह प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जारी रहा तो आने वाले समय में सिंचाई तो दूर, पेयजल की भी भारी किल्लत हो सकती है। विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कृषि मेला में यह बात  चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कही है।

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उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन के लिए पानी एक महत्वपूर्ण संसाधन है और इसकी विश्वसनीय आपूर्ति होना महत्वपूर्ण है। जल का उचित प्रबंधन और संरक्षण करके हम इसे अगली पीढ़ी को दे सकते हैं। सूखे के खिलाफ लड़ाई में जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है और पानी के संरक्षण के कई तरीके हैं। पानी के संरक्षण के कुछ तरीकों में कम पानी का उपयोग करना, पानी का कुशलतापूर्वक उपयोग करना और पानी का पुनर्चक्रण करना शामिल है। आधुनिक तकनीकों जैसे वर्षा जल संचयन, ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई के साथ पानी का कम से कम उपयोग किया जा सकता है।

ई-ट्रैक्टर का करे उपयोग

किसानों को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा की किसानों को जल संरक्षण के साथ–साथ पर्यावरण के संरक्षण पर भी जोर देना चाहिए।किसानों को अपने डीजल से चलने वाले उपकरणों के बजाय ई-ट्रैक्टर का उपयोग करने पर जोर देना चाहिए। इससे उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की मात्रा में कमी आयेगी और ई ट्रैक्टर के उपयोग करने से डीजल पर होने वाले खर्च के पैसे भी बचेंगे और उन्होंने ई-ट्रैक्टर पर सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी की भी जानकारी दी। उन्होंने उन्नत किस्म की फसलों के बीजों के बारे में बताते हुए कहा की 35000 क्विंटल बीज यूनिवर्सिटी के द्वारा किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। समारोह में उपस्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास / LUVAS) के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने भी कृषि में जल संरक्षण की आवश्यकता को व्यक्त करते हुए कहा कि सिंचाई के पानी का कुशल प्रबंधन नहीं होने के कारण लगभग 70 प्रतिशत पानी बर्बाद हो रहा है, जिस पर गहन विचार करने की जरूरत है, क्योंकि बहुत सारे ऐसे राज्य है जिनके जमीन के नीचे का पानी पूरी तरह से खत्म हो चुका है, जो की एक अहम मुद्दा है। उन्होंने निवेश पर अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए कृषि व्यवसाय के साथसाथ पशुपालन के महत्व पर भी जोर दिया। भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्रामीण आबादी के दो-तिहाई हिस्से को रोजगार देता है, जिससे उन्हें आजीविका मिलती है। देश के विभिन्न राज्यों में लंपी स्किन रोग की व्यापकता का उल्लेख करते हुए वर्मा ने पशुपालकों से कहा कि वे अपने पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए हर तरह के सम्भव उपाय और सावधानी बरतना चाहिए, उन्होंने इस बीमारी पर काबू पाने के लिए हरियाणा सरकार और लुवास की ओर से चलाए जा रहे तमाम प्रयासों की जानकारी दी, कृषि मेला संयोजक और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल ने किसानों की मदद के लिए डिज़ाइन की गई विश्वविद्यालय की विस्तार गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

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हरियाणा और आसपास के राज्यों के किसानों का हुआ जमावड़ा

हरियाणा और आसपास के राज्यों के कई किसान मेले में एकत्रित हुए। मेले के आयोजकों के द्वारा किसानों को सिंचाई, जल प्रबंधन और संरक्षण की जानकारी दी गई। मेले में किसानों के द्वारा लगाए गए स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ था।

मिट्टी–पानी की खूब हुई जांच

विश्वविद्यालय की ओर से लगाए गए बीज बिक्री केंद्र के स्टॉल पर किसानों ने रवि फसलों के बीज को भारी मात्रा में खरीदा, साथ ही किसानों ने अपनी मिट्टी और पानी की जांच मेले में लगे हुए मिट्टी पानी जांच केंद्र पर करवाया। इस आयोजन के अवसर पर बेहतर कार्य करने वाले किसानों को सम्मानित भी किया गया और साथ ही किसान किस तरह से आत्मनिर्भर बने इसको लेकर किसानों को विशेष जानकारी और टिप्स दी गई।
किसान दिवस के आयोजन के दौरान merikheti.com ने की मासिक किसान पंचायत

किसान दिवस के आयोजन के दौरान merikheti.com ने की मासिक किसान पंचायत

किसान भाइयों आपको यह बताते हुए बहुत ही हर्ष महसूस हो रहा है, कि 23 दिसंबर को किसान मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले चौधरी चरण सिंह जी के जन्म दिवस पर merikheti.com द्वारा मुरादग्राम, पुर पुर्सी, मुरादनगर ग़ाज़ियाबाद में किसान गोष्टी एवं मासिक किसान पंचायत का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें कृषि वैज्ञानिकों व काफी संख्या में किसानों ने भाग लिया। मासिक किसान पंचायत का मुख्य उद्देश्य किसानों को सजग बनाना एवं उनके हित में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी उन तक समयानुसार पहुँचाना। किसानों की समस्याओं को सुनने के बाद उनका सही व सटीक समाधान प्रदान करना वैज्ञानिकों का मुख्य उद्देश्य होता है। merikheti.com द्वारा आयोजित मासिक किसान पंचायत के दौरान डॉ सी.बी. सिंह प्रिंसिपल साइंटिस्ट (RETD) IARI, पूसा दिल्ली व डॉ विपिन कुमार असोसिएट डायरेक्टर / प्रोफेसर (एग्रोनोमी) विशेषज्ञ आर्गेनिक फार्मिंग कृषि विज्ञान केंद्र गौतम बुद्ध नगर , डॉ लक्ष्मी कांत सारस्वत वैज्ञानिक (प्लांट एंड ब्रीडिंग) विशेषज्ञ सीड प्रोडक्शन ऑफ वेजिटेबल कृषि विज्ञान केंद्र हापुड़ merikheti.com के कंटेंट हैड दिलीप कुमार एवं AdbirdMedia Pvt. Ltd. के Co-founder एवं बिज़नेस हैड श्री कृष्ण पाठक जी व merikheti.com की टीम मौजूद रही है। डॉ सी.बी. सिंह जी का कहना है, कि किसान केवल उत्पादन करने और उसको मंडी में बेचने तक ही सीमित न रहें उनको एक किसान से किसान व्यापारी बनने की नई दिशा की और कदम बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। क्योंकि किसानों की हालत दिन प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है, जबकि व्यवसाय एवं व्यापार करने वाले दिनोंदिन अमीर होते जा रहे हैं, वहीं किसान भुखमरी व गरीबी जैसी समस्याओं से घिरे हुए हैं। इसकी मुख्य वजह किसानों में जागरुकता का अभाव और आधुनिक कृषि की सही जानकारी नहीं होना है। किसान कृषि विशेषज्ञों व कृषि वैज्ञानिकों की सहायता से आधुनिक एवं प्रगतिशील जानकारी लेकर स्वयं व्यापारी की भाँति अपनी फसल का व पैदावार का समुचित प्रबंधन व प्रयोग करें।


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डॉ विपिन कुमार जी ने बताया है, कि जैविक खेती के माध्यम से किसान कम लागत में अच्छा उत्पादन कर सकते हैं। परंतु उनको किसी अच्छे कृषि विशेषज्ञ या कृषि वैज्ञानिक की सलाह के अनुसार ही जैविक खाद बनाना चाहिए। क्योंकि किसान जानकारी के आभाव के कारण जैविक खाद को समुचित रूप से प्रयोग नहीं कर पाते हैं। जैविक कृषि करने के लिए किसानों को जैवक खाद की आवश्यकता होती है। लेकिन किसान तापमान एवं मापदंडो को सही से न जानने की वजह से उसका ढंग से उपयोग नहीं कर पाते हैं। इसी वजह से किसानों को सही पैदावार एवं बेहतर परिणाम नहीं मिलते हैं। डॉ लक्ष्मी कांत सारस्वत जी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि, आजकल बढ़ती जनसँख्या की वजह से किसानों की भूमि विभाजित होती जा रही है इस वजह से अधिकांश किसान कम जमीन में ही खेती किसानी करके अपनी गुजर बसर करते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति काफी दयनीय है इसकी एक वजह किसानों द्वारा परंपरागत तरीके से की जाने वाली खेती है। किसान आधुनिक कृषि तकनीकों एवं रचनात्मक सोच से कार्य नहीं करेंगे तब तक वह गरीबी एवं भुखमरी जैसी चुनौतियों का सामना करते रहेंगे। इसी संदर्भ में उन्होंने किसानों को बीज उत्पादन करके कैसे कम जमीन में अधिक उत्पादन कर सकते हैं इस बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान की। merikheti.com के कंटेंट एवं चैनल हेड दिलीप यादव जी ने कहा कि, किसान एकजुट होकर श्रेष्ठतम फसल उत्पादन करें एवं उसको विषमुक्त उत्पाद के नाम से बाजार में बेचें। क्योंकि अत्यधिक रासायनिक खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग से फसल बेहद जहरीली होती जा रही हैं। यदि आपको अनुभव करना है, तो बाहरी बाजार के अनाज को खाकर देखें उसके बाद स्वयं बिना रासायनिक खाद एवं उर्वरक वाले अनाज को खाएं आपके पेट की गैस बता देगी कि कौन-सा अच्छा है और कौन-सा हानिकारक। यदि आप सब किसान एकजुट होकर विषमुक्त उत्पादन करेंगे तो निश्चित रूप से आपके उत्पाद को लोग जो आप चाहेंगे उस मूल्य पर खरीदेंगे आज देश में बीमारियों के बढ़ते प्रकोप की वजह से ऐसे उत्पादों की अत्यंत आवश्यकता है। AdbirdMedia Pvt. Ltd. के Co-founder एवं CEO श्री कृष्ण पाठक जी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वह किसान परिवार से होने की वजह से किसानों की समस्याओं एवं उनकी आवश्यकताओं के बारे में भली-भांति जानते हैं। इसलिए ही उन्होंने किसानों के हित में merikheti.com वेबसाइट को चालू किया था। वर्तमान में merikheti.com किसानों को सही एवं सटीक जानकारी देने का उत्तम माध्यम है। कृषि क्षेत्र में merikheti.com वेबसाइट अपनी अच्छी खासी पहचान रखती है, इसकी मुख्य वजह किसानों को दी जाने वाली उनके हित में जानकारी है। किसान दिवस के अवसर पर आयोजित मासिक किसान पंचायत में किसानों ने बढ़चढ़ कर बेबाकी के साथ अपनी समस्याएं अपने सवाल कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष रखें। वैज्ञानिकों ने भी उनके सवालों को ना केवल अच्छी तरह सुना और समझा बल्कि उनके सवालों का जवाब समाधान के साथ दिया है। किसानों को आधुनिक एवं नवीनतम किस्मों की जानकारी भी दी गयी, साथ ही किसानों ने कम लागत में अधिक पैदावार करने की विधियों के बारे में भी जाना है।
JPS DABAS जी ने किसान दिवस पर किसानों को संबोधित किया

JPS DABAS जी ने किसान दिवस पर किसानों को संबोधित किया

किसान दिवस

किसान दिवस हर साल 23 दिसंबर को भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सम्मान में मनाया जाता है

भारत शुरू से ही कृषि प्रधान देश रहा है, जिसकी आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र पर आश्रित रहता है। इसी वजह से चौधरी चरण सिंह जी ने कहा था, कि देश की समृद्धि का रास्ता गाँव के खेतों एवं खलियानों से होकर गुजरता है। किसान दिवस के मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली के प्रधान कृषि वैज्ञानिक
डॉ जे पी एस डबास (Dr. J.P.S. DABAS, SCIENTIST of Indian Agricultural Research Institute And the department of AGRICULTURAL EXTENSION, PRINCIPAL SCIENTIST at CATAT (Centre for Agricultural Technology Assessment and Transfer(CATAT), IARI, New Delhi-12) जी ने देशवाशियों व किसानों को संबोधित करते हुए कहा है :
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भारतवर्ष की सांस्कृतिक विरासत बहुत पुरानी वह धनी है तथा इसने पुरे विश्व को प्रभावित किया है। कृषि यहां के सांस्कृतिक विकास में अग्रणी भूमिका में रहीं हैं। कृषि को यहां प्राचीन काल से ही केवल व्यवसाय के रूप में नही देखकर एक जीवन पद्धति के रूप में मान्यता मिली है। लेकिन मध्यकाल से पिछली शताब्दी के मध्य तक विदेशी आक्रमणकारी द्वारा भारतीय संस्कृति को अत्यधिक नुकसान पहुंचा गया इससे कृषि वह किसान की हालत काफी प्रभावित हुई। देश विदेशों पर खाद्यान्न के लिए निर्भर हो गया था। किसान समाज को जाति, धर्म वह क्षेत्र के आधार पर बांट दिया गया। व्यापारी वर्ग वह उस समय के शासकों ने खुब आर्थिक रूप से ठगा। जिससे कृषि वह किसान की हालत जर्जर हो चुकी थी। देश की 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्यों में लगीं होने के बावजूद देशवासियों को विदेशों पर खाद्यान्न के लिए निर्भरता और किसानों की आर्थिक बदहाली स्वतंत्र भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती का सामना करने में वह किसानों को जागरूक वह एकजुट और प्रौत्साहित करने के साथ साथ सरकार तक उनकी आवाज पहुंचाने की जो भुमिका स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह ने निभाई वह अद्वितीय थी। उन्होंने कृषि वह किसान के महत्व के हर मुद्दे को बखुबी सरकार के सामने उठाने वह हल करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनको पुरे भारत का किसान अपना नेता मानते थे तथा उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते थे। स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के लिए किसानों, कृषि वह देश के हित सर्वोपरि थे। किसानों को समझाने के लिए वो कड़वी सच्चाई को प्रस्तुत करने में पिछे नहीं रहते थे और किसान भी उनके साथ दिल से जुड़े हुए थे। वो किसानों को जोर देकर कहते थे कि पहले तो किसानों को आपसी मतभेद भुलाकर अपने वह देश के आर्थिक विकास के लिए एक जुट होने की आवश्यकता है फिर उनको उत्पादन से अधिक विपणन वह बाजार पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह आवश्यकता आज के परिपेक्ष में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है तथा बहुसंख्यक किसान आज भी यही मार खा रहे हैं ।
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किसान भी उनकी एक आवाज सुनकर शान्ति पुर्ण वह अनुशासित ढंग से दिल्ली वोट क्लब पर उनकी आवाज में आवाज मिलाने के लिए पहुंच जाते थे। उनके वह किसानों के मध्य एक अजब गजब किस्म का संबंध था। इस संबंध और उनके महत्वपूर्ण कृषि, किसान वह ग्रामीण विकास के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए सरकार ने उनके जन्मदिन 23 दिसम्बर को किसान दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया। इससे किसानों को उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है तथा किसान जाति, धर्म, क्षेत्र वह दलगत राजनीति से उपर उठकर काम करने की प्रेरणा लेते हैं। आज हम उनको सच्ची श्रद्धांजलि देते हैं तथा सभी देशवासियों को आवान करते हैं कि हमें उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना चाहिए और देश, समाज की निस्वार्थ सेवा करनी चाहिए। किसान वह कृषि के हित को सर्वोपरि रखते हुए आगे बढ़े।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिलने पर परिजनों ने जताई खुशी

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिलने पर परिजनों ने जताई खुशी

भारत सरकार की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह के परिवार ने सरकार को धन्यवाद कहा है और घोषणा को लेकर खुशी जाहिर की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (9 जनवरी, 2024) को भारत रत्न के लिए तीन और लोगों के नाम की घोषणा की है। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एम. एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। भारत सरकार की इस घोषणा के बाद उनके घर वालों ने अपनी खुशी जाहिर की है और सरकार का आभार प्रकट किया है। 

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की बेटी वाणी राव ने कहा कि यह बहुत खुशी का पल है। उन्होंने कहा कि पहले ही ऐसा होना था, लेकिन कहते हैं न कि भगवान के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है। वानी राव ने आगे कहा, 'बहुत खुशी का दिन है पूरा तेलंगाना खुश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को मैं धन्यवाद देती हूं। उनकी अच्छी बात है कि कोई कितना कोने में रहता हो, उसको लाइम लाइट में लाना, सम्मान करना वो मोदी जी का बड़प्पन है।'

नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिलने पर परिवार की भावनात्मक प्रतिक्रिया 

बीजेपी नेता और पीवी नरसिम्हा राव के पोते एनवी सुभाष ने कहा कि पीएम मोदी ने उन्हें भारत रत्न सम्मान देने का ऐलान किया है, जबकि वह कांग्रेसी थे। उन्होंने कहा, 'मैं 2004 से 2014 तक सत्ता में रहे यूपीए सरकार और खासतौर से गांधी परिवार की निंदा करता हूं कि किसी अवॉर्ड से सम्मानित नहीं किया।' उन्होंने कहा कि वह नरसिम्हा राव को भारत रत्न सम्मान दिए जाने पर काफी खुश हैं और भावुक भी हैं। एनवी सुभाष ने कहा कि हमें लगता था कि इसमें देरी होगी, लेकिन तेलंगाना बीजेपी के प्रयास से ऐसा हो रहा है। उन्होंने तेलंगाना बीजेपी को भी धन्यवाद कहा है।

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चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी ने भी जताई खुशी

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी ने भी घोषणा को लेकर खुशी जाहिर की है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके अपनी खुशी जाहिर की है। जयंत चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट साझा करते हुए कैप्शन में लिखा, 'दिल जीत लिया!' भारत सरकार ने इस साल भारत रत्न के लिए पांच लोगों के नाम की घोषणा की है। 

3 फरवरी को पीएम मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया था। उससे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को 24 जनवरी को उनकी 100वीं जयंती पर मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 फरवरी को एक्स पर नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है।